सिंगरौली

singrauli news ; मनोचिकित्सक बोले- रखें ध्यान, कहीं मोबाइल बदल तो नहीं रहा आपके बच्चे की मानसिकता

सिंगरौली. आज के दौर में बच्चे मोबाइल के इतने एडिक्ट हो गए हैं कि वो खाना खाते समय भी उसे चलाते रहते हैं। बच्चों की यह आदत उनकी मानसिकता पर विपरीत प्रभाव डाल रही है। इसे लेकर अभिभावकों को ध्यान देना जरूरी है, वरना बहुत देर हो जाएगी। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि बच्चों की मानसिकता पर मोबाइल गहरा असर छोड़ रहा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों छतरपुर में एक स्कूली बच्चे ने अपने प्राचार्य की हत्या कर दी थी। स्कूली बच्चे की इस हरकत ने कई बड़े सवाल खड़े हुए थे। पढ़ने की उम्र में इतना गंभीर अपराध मासूम बच्चों की विकृत मानसिकता को दर्शाता करता है।

 

इस बारे में पत्रिका ने वैढ़न जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. आशीष पांडेय से बात की तो उन्होंने कहा, आज के दौर में अभिभावकों की यह जिमेदारी बढ़ गई है कि वे अपने बच्चे की हर एक्टिविटी पर नजर रखें। डॉ. पांडेय का कहना है कि बच्चों का मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है, इसलिए मोबाइल में देखी जाने वाली चीजें उन पर विपरीत असर डालती हैं। बच्चे अगर किसी गेम या मूवी के कैरेक्टर से प्रभावित होते हैं, तो फिर वे उसी तरह का आचरण करने लगते हैं। चूंकि परिपक्व नहीं होते, इसलिए उसका अच्छा या बुरा सोचने-समझने की क्षमता भी विकसित नहीं हो पाती।

छूटता ही नहीं मोबाइल

बच्चों को भी मोबाइल की ऐसी आदत पड़ गई है कि हमारे लाख कहने के बाद भी अपना अधिकांश समय उस पर ही गुजारते हैं। अब हम ध्यान रखेंगे कि बच्चे मोबाइल में क्या देख रहे हैं, तथा उसका उनके व्यवहार पर कोई असर तो नहीं हो रहा।

-जैनेंद्र दुबे, अभिभावक

मॉनीटरिंग है जरूरी

बच्चों की आंखों के अलावा उनकी मानसिकता पर मोबाइल विपरीत असर डाल रहा है। अब बच्चों की मॉनीटरिंग करेंगे कि वे मोबाइल पर कितना और क्या देखने में समय व्यतीत कर रहे हैं।

-उदयभान सिंह, अभिभावक

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